शरीर के प्रति अतिचार (Trespass to Person)

शरीर के खिलाफ किए जाने वाले अपकृत्यो को चार भागों में बांट सकते हैं:-

1) हमला (Assault)

2) प्रहार ( Battery)

3) अंग भंग (Mayhem)

4) मिथ्या कारावास (False Imprisonment)

हमला (Assault)-

अर्थ (Meaning)- किसी व्यक्ति के शरीर पर गैरकानूनी ढंग से हाथ छोड़ना या किसी को जानबूझकर शारीरिक चोट पहुंचाने के लिए प्रयत्न करना। केवल धमकी हमला नहीं होती। आशय और कार्य दोनों को मिलाकर हमला बनता है। उदाहरण के लिए– किसी व्यक्ति की तरफ भरी बंदूक से निशाना लगाना हमला है, लेकिन यदि जिस पर निशाना लगाया गया है वह जानता है कि बंदूक में गोली नहीं है तो ऐसा निशाना लगाना हमला नहीं माना जाएगा।

उदाहरण के लिए – लकड़ी मारने से पहले लकड़ी दिखाना, मुक्का मारने से पहले मुक्का दिखाना आदि हमले के अंतर्गत आते है।

परिभाषा (Definition)डॉ विनफील्ड के अनुसार– प्रतिवादी का वह कार्य हमला कहलाता है जो वादी के मन में ऐसी आशंका उत्पन्न करता है कि प्रतिवादी उस पर प्रहार कर देगा।

आवश्यक तत्व (Elements)हमले को साबित करने के लिए निम्न बातें साबित करनी जरूरी है-

1) कोई तैयारी, जो धमकी या बल का प्रयोग दिखाती हो।

2) तैयारी ऐसी हो जिससे वादी के मन में बल प्रयोग का डर पैदा हो जाए।

3) प्रतिवादी वादी पर तुरंत बल प्रयोग करने की स्थिति में हो।

उदाहरण के लिए– यदि कोई व्यक्ति इतनी दूरी पर तलवार घूमाता है कि चोट की संभावना नहीं है तो यह कार्य हमला नहीं माना जाएगा। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति चलती ट्रेन से किसी को मुक्का दिखाता है तो यह भी हमला नहीं माना जायेगा।

4) ऐसा बल प्रयोग साशय होना चाहिए। यदि तैयारी का आशय ना झलकता हो तो उसे हमला नहीं कहा जाएगा।

केस- ट्यूबरविले बनाम सेवेज (1969)- इस मामले में प्रतिवादी जो एक सिपाही था, उसने ड्रिल में अपनी तलवार पर हाथ रखते हुए वादी से कहा कि यदि ड्रिल का समय ना होता तो मैं तुम्हारी यह भाषा बर्दाश्त ना करता। इसे हमला नहीं माना गया क्योंकि प्रयोग की गई भाषा से किसी भी प्रकार का हिंसात्मक प्रयत्न दिखाई नहीं देता।

केस-बीरबल खलीफा बनाम सम्राट– इस मामले में प्रतिवादी एक अपराधी था। दरोगा ने उसे हाजिरी लेने के लिए बुलाया और अंगूठे का निशान लगाने के लिए कहा। प्रतिवादी ने विरोध किया और दौड़कर लाठी उठा ली और कहा कि जो व्यक्ति अंगूठे का निशान लगाने को कहेगा वह उसकी खोपड़ी तोड़ देगा। न्यायालय ने कहा कि ऐसी धमकी शर्तपूर्ण थी। उसे हमला नहीं कहा जा सकता।

प्रहार (Battery)

अर्थ (Meaning)- किसी व्यक्ति के शरीर को उसकी इच्छा के विरुद्ध वास्तविक रूप से चोट पहुंचाना या अभद्र तरीके से छूना प्रहार कहलाता है। बिना किसी विधि कारण के किसी व्यक्ति के शरीर पर बल प्रयोग करना प्रहार या मारपीट माना जाता है, चाहे बल का प्रयोग कितना ही कम क्यों ना हो।

परिभाषा (Definition)सामण्ड के अनुसार– बिना विधिक औचित्य के किसी व्यक्ति के शरीर के प्रति जानबूझकर बल प्रयोग प्रहार कहलाता है।

आवश्यक तत्व प्रहार के अपकृत्य में निम्न बातें साबित करनी पड़ती है-

1) इच्छा के विरुद्ध शरीर के प्रति बल का प्रयोग करना।उदाहरण- चांटा मारना, धक्का मारना आदि।

2) ऐसा बल प्रयोग जानबूझकर किया गया हो।

3) बल प्रयोग बिना विधिक औचित्य के किया गया हो।

केस- कोल बनाम डर्नर (1704)- मुख्य न्यायाधीश होल्ट ने कहा कि क्रोध में किसी व्यक्ति के शरीर को छू लेने से भी प्रहार हो जाता है, यदि कोई शारीरिक नुकसान पहुंच जाता है तो यह और भी गंभीर रूप धारण कर लेता है।

केस- हस्टर्स बनाम पिक्चर्स थिएटर लिमिटेड (1915)- इस मामले में वादी टिकट खरीदकर प्रतिवादियों के सिनेमाघर में सिनेमा देखने गया, प्रतिवादियों ने इस भ्रम में कि उसने टिकट नहीं निकाल दिया। न्यायालय ने प्रतिवादी को प्रहार के लिए दोषी ठहराया।

अग भंग (Mayhem)-

परिभाषा (Definition):- ऐसी शारीरिक चोटों जिसमें मृत्यु नहीं होती ती है, अंग-भंग सबसे ज्यादा गंभीर चोट होती है। यह एक ऐसी क्षति है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी ज्ञान इंद्रियों से वंचित हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति का हाथ, पैर, उंगली आदि कोई अंग भंग हो जाता है तो अंग भंग का मामला बनता है।

हालांकि नाक या कान काटना व्यक्ति को अपंग अवश्य बना देता है, लेकिन इसे क्रियाशील अंग का भंग होना नहीं कहा जाता है, बल्कि प्रहार माना जाता है।

मिथ्या कारावास (False Imprisonment)

अर्थ (Meaning)– बिना विधिक औचित्य के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करना या बंद कर देना।

परिभाषा (Definition)-डॉ विनफील्ड के अनुसार- मिथ्या कारावास किसी व्यक्ति की शारीरिक स्वतंत्रता पर ऐसा अवरोध लगाना है, जिसे विधि द्वारा प्राधिकृत ना किया गया हो।

मिथ्या कारावास के आवश्यक तत्व-

1) व्यक्ति की स्वतंत्रता को पूर्ण रूप से छीना जाना।

2) बंदीकरण अवैध होना चाहिए।

केस- बर्ड बनाम जोन्स (1945)- जस्टिस पैटरसन ने कहा कि कारावास किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूरा अवरोध होता है। यह अवरोध चाहे थोड़े समय के लिए ही क्यों ना हो।

केस- अनवर हुसैन बनाम अजय कुमार (1959) – मिथ्या कारावास का अर्थ है किसी व्यक्ति की शारीरिक स्वतंत्रता को बिना किसी विधि औचित्य के पूर्ण अवरोध डालना।

केस- भीम सिंह बनाम जम्मू कश्मीर राज्य (1986)- इस मामले में एक विधायक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और कुछ दिनों तक बिना उचित कारण के बंदी के रूप में रखा। उच्चतम न्यायालय ने इसे से मिथ्या कारावास माना और राज्य को जिम्मेदार ठहराया।

वादी को अवरोध का ज्ञान होना-

केस- हैरिंग बनाम वायेल (1834)- इस मामले में स्कूल की फीस जमा ना होने के कारण एक बच्चे को बिना उसकी जानकारी के स्कूल में रोक लिया गया था। न्यायालय ने कहा कि बच्चे को अपने रोके जाने की जानकारी नहीं थी इसलिए प्रतिवादी को मिथ्या कारावास के लिए दोषी नहीं ठहराया गया।

हमले और प्रहार में अंतर-

1) हमले में वादी के शरीर को स्पर्श करना जरूरी नहीं है लेकिन प्रहार में जानबूझकर स्पर्श होना अनिवार्य है।

2) हमले में वादी के मन में बल प्रयोग का डर नहीं होता। डर उत्पन्न किया जाना जरूरी है जबकि प्रहार हार में इस तरह का डर जरूरी जैसे- किसी पर पीछे से वार करना प्रहार होता है।

3) हमला प्रहार करने की एक धमकी है। प्रहार में हमला शामिल रहता है लेकिन हर हमले में प्रहार शामिल नहीं होता।

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