टाॅली बनाम जे० एस० फ्राई एण्ड सन्स लिमिटेड के बाद में वादी गॉल्फ का एक प्रसिद्ध अव्यवसायी चैम्पियन था। उसने प्रतिवादी पर अपमान लेख के लिये वाद दाखिल किया जो कि प्रतिवादी की चाकलेट के एक विज्ञापन में सन्निहित था। विज्ञापन के मध्य में मिस्टर टॉली का एक व्यंग्य चित्र (कार्टून) बनाया गया था, जिसमें मिस्टर टॉली को अपने एक अत्यन्त ओजस्वी प्रहार को गेंद परहित करते हुये दिखलाया गया था। इस चित्र में यह भी दिखलाया गया था कि मिस्टर टॉली की जेब के फ्राई की चाकलेट का एक पैकेट निकल रहा था। इसी चित्र में एक मसखरा व्यक्ति भी प्रदर्शित किया गया था जो अपने हाथ में फ्राई की चॉकलेट का एक अन्य पैकेट लेकर नृत्य कर रहा था और भोंडी कविता का गान करके मिस्टर टॉली की गेंद पर प्रहार की उत्कृष्टता की तुलना चाकलेट की उत्कृष्टता के साथ कर रहा था। बादी से इस विज्ञापन के सन्दर्भ में सम्मति नहीं ली गई थी और न ही उसे उस सन्दर्भ में कुछ पैसे दिये गये थे। उसके दावे में यह कहा गया था कि प्रतिवादी द्वारा ऐसा करने के पीछे यह आशय था और ऐसा भी समझा गया था कि वादी इस बात पर सहमत हो गया है, या उसने इस बात की अनुमति प्रदान कर दी है कि उसका चित्र प्रतिवादी के चॉकलेट के विज्ञापन के निमित्त प्रदर्शित किया जाये, तथा उसने अपनी सम्मति पैसा लेने के हेतु दी है। बाद में यह भी कहा गया है कि ऐसे विज्ञापन से यह मतलब निकलता है कि वादी ने विज्ञापन के प्रयोजन के निमित्त अपनी अव्यावसायिक गॉल्फ चैम्पियन की प्रतिष्ठा और सम्मान को बेचा है। वादी का यह कहना था कि विज्ञापन के कारण उसकी साख और प्रतिष्ठा हुई है। यह धारित किया गया कि वक्रोक्ति जिसमें वादी की अपनी हैसियत का व्यापार करना प्रदर्शित किया गया था, विज्ञापन के चित्रों द्वारा समर्थित हो रहा था, अतः मिस्टर टॉली जैसी मान मर्यादा वाले व्यक्ति के लिये वह हानिकारक थी।