हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 6 के अनुसार– हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के प्रारंभ से मिताक्षरा विधि द्वारा शासित संयुक्त हिंदू परिवार में पुत्री –

क) जन्म से अपने अधिकार में उसी तरह सहदायिकी होगी, जैसे-पुत्र

ख) उसे सम्पत्ति में वही अधिकार होगा जो पुत्र को प्राप्त हो।

ग) वह वैसे ही दायित्वों के अधीन होगी जैसे पुत्र का दायित्व है

जहा हिंदू की मृत्यु हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के प्रारंभ के बाद हो जाती हैं वहां संयुक्त हिंदू परिवार की सम्पत्ति में उसके हित का न्यायगमन इस अधिनियम के अधीन वसीयती या निर्वसीयती उत्तराधिकार द्वारा होगा।

इस प्रकार हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 जो 9 सितंबर 2005 को लागू हुआ, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 6 को संशोधित करता है।

अब यह प्रश्न कि क्या 9 सितंबर 2005 के प्रारंभ के पहले ही व्यक्ति यदि मर जाए तो उसका क्या प्रभाव होगा-

केस-प्रकाश बनाम फूलवती (2016) पिता का उपरोक्त तिथि (अर्थात अधिनियम के प्रारंभ पर) जीवित होना जरूरी है।

केस- दानम्मा बनाम अमर सिंह (2018) उपरोक्त को उलटकर कहा कि भले ही पिता की मृत्यु इस अधिनियम के प्रारंभ से पहले हो गई हो तब भी पुत्री को अधिकार मिलेगा।

दोनों निर्णयो में असमंजसता की स्थिति उत्पन्न हो गयी

केस- विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा (2020)- इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कि पैतृक सम्पत्ति पर पुत्रियों का अधिकार जन्म से निहित है जिस प्रकार पुत्रों का। पिता जीवित है या नहीं इस बात का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

केस- अरुणाचल ग्राउंडर बनाम पुन्नू स्वामी (2022)- इस मामले में दो तर्क दिए गए

1) क्या एक पुत्री अपने मृतक पिता की स्वयं अर्जित सम्पत्ति में अधिकार रखती है।

2) एक निर्वसीयती मृतक हिंदू स्त्री की सम्पत्ति किसको दी जाएगी?

न्यायालय ने कहा कि पुत्री को भी पुत्र के समान ही मृतक पिता की स्वयं अर्जित सम्पत्ति में पूर्ण अधिकार प्राप्त है। साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि मृतक निर्वसीयती स्त्री की सम्पत्ति हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 (2) के अनुसार तय होगी।
इस प्रकार विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा के वाद में न्यायालय ने कहा कि पुत्री को पिता की पैतृक सम्पत्ति में पुत्र के समान ही अधिकार होगा जबकि अरुणाचल ग्राउडर के वाद में न्यायालय ने पुत्री को पिता की स्वयं अर्जित सम्पत्ति में भी अधिकारों को स्पष्ट कर दिया। इस प्रकार वर्तमान में पुत्री को पिता की पैतृक और स्वयंअर्जित दोनों सम्पत्तियो में पुत्र के समान अधिकार प्राप्त होगा।

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