अर्थ (Meaning) :- न्यूसेंस को हिंदी में उपताप भी कहते हैं।

न्यूसेंस फ्रेंच भाषा के शब्द न्यूरे तथा लैटिन शब्द नोसीर से लिया गया है, जिसका अर्थ है- हानि पहुंचाना या बाधा उत्पन्न करना

इसका अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा भूमि के उपयोग तथा उससे संबंधित किसी अधिकार को बांधा पहुंचाना

परिभाषा (Definition)

डॉ विनफील्ड के अनुसार– न्यूसेंस किसी व्यक्ति की भूमि या उसके ऊपर या उससे संबंधित किसी अधिकार के प्रयोग में अवैध हस्तक्षेप को कहते हैं।

सामण्ड के अनुसार– न्यूसेंस उसे कहते हैं जहां प्रतिवादी अपनी भूमि से या कहीं अन्य जगह से हानिकारक वस्तुओं को बिना विधिक औचित्य के वादी की भूमि में जाने देता है ऐसी वस्तुओं में कई प्रकार की चीज आ सकती हैं। जैसे– धुआं, दुर्गंध, गैस, शोरगुल, गर्मी, कंपन, बिजली, बीमारी के जीवाणु, जानवर आदि।

न्यूसेंस के प्रकार (Types of Nuisance)-न्यूसेंस दो प्रकार का होता है।

1) लोक न्यूसेंस (Public Nuisance)

2) प्राइवेट न्यूसेंस (Private Nuisance)

1) लोक न्यूसेंस – ऐसे कार्य को कहते हैं जिससे आसपास रहने वाले लोगों के लिए परेशानी उत्पन्न हो। जिससे आवश्यक रूप से उन व्यक्तियों के लिए आघात खतरा तथा रुकावट पैदा हो जिन्हें किसी अवसर पर लोक अधिकार का प्रयोग करना पड़ सकता है।साधारण शब्दों में लोक न्यूसेंस से जनता के एक बड़े वर्ग को बाधा पहुंचती है। जैसे सड़क पर बीच रास्ते में जहाँ आम जनता का आना-जाना हो कोई व्यक्ति गड्डा खोद दे तो यह लोक न्यूसेंस होगा।

लोक न्यूसेंस को भारतीय दंड संहिता की धारा 268 में परिभाषित किया गया है।

केस- अटॉर्नी जनरल बनाम पी वाई ए क्वेरीज लिमिटेड (1957)- लॉर्ड डेनिंग ने कहा कि कोई न्यूसेंस लोक न्यूसेंस तब माना जाएगा जब इससे एक विशेष वर्ग के व्यक्तियों की सुविधा तथा सुख प्रभावित होता है।

केस- पक्कल तथा अन्य बनाम री आयासामी गनपति तथा अन्य (1969)- इस मामले में वादी ने गांव के व्यक्तियों की तरफ से एक वाद दायर किया जिससे वह प्रतिवादियों को सरकारी तालाब में नमक के कड़ाहे रखने से रोकना चाहता था, क्योंकि उस तालाब का पानी पीने, नहाने तथा अन्य उपयोग के लिए बेकार हो जाता था। न्यायालय ने कहा कि कोई हालांकि वह भूमि वादी की नही थी। प्रतिवादी को न्यूसेंस के लिए दायी ठहराया गया।

2) प्राइवेट न्यूसेंस – बिना किसी अधिकार के अपनी संपत्ति का इस तरह से उपभोग करना जिससे दूसरे की संपत्ति को क्षति पहुंचे तथा दूसरे व्यक्ति की संपत्ति को हानि पहुंचे। प्राइवेट न्यूसेंस से किसी एक व्यक्ति को या कुछ व्यक्तियों को बाधा होती है।

इसके आवश्यक तत्व है-

1) हस्तक्षेप

2) हस्तक्षेप भूमि के प्रयोग के साथ हो

3)क्षति

केस- क्रिस्बी बनाम डेवी (1893) वादी गायन विद्या सिखाता था। परेशान होकर प्रतिवादी ने कमरे की दीवार को लगातार पीट-पीट कर उसके शिष्यों को सीखने में बहुत रुकावट डाली। न्यायालय ने प्रतिवादी को प्राइवेट न्यूसेंस का दोषी ठहराया।

केस- साल्टी बनाम डी होल्ट (1851)- इस मामले में एक निवास स्थान के पास एक मकान में कैथोलिक चर्च से लगातार बड़े घंटे बजाने की आवाज आती थी जो बाधा उत्पन्न करती थी। घंटे की आवाज को न्यूसेंस माना गया तथा इसे रोकने के लिए न्यायालय ने व्यादेश जारी किया।

उपचार (Remedies)-न्यूसेंस के मामले में ये उपचार मिल सकते हैं-

1) उपशमन– इसका अर्थ है न्यूसेंस को हटा देना या नष्ट करना। वादी स्वयं भी न्यूसेंस के कारण को हटा सकता है लेकिन यह जरूरी है कि न्यूसेंस को शांतिपूर्ण ढंग से हटाया जाए जिसमें दूसरों के लिए खतरा उत्पन्न ना हो

2) नुकसानी– नुकसानी का दावा भी न्यूसेंस के लिए एक उपाय है जो व्यक्ति न्यूसेंस से प्रभावित होते हैं वे नुकसानी के लिए कार्रवाई कर सकते हैं।

3) प्रतिषेधात्मक व्यादेश– इसे प्राप्त करने के लिए यह साबित करना पड़ता है कि नुकसान की गंभीरता को देखते हुए नुकसानी इसका ठीक उपाय नहीं है इसलिए व्यादेश जारी किया जाए।

लोक तथा प्राइवेट न्यूसेंस में अंतर

1) लोक न्यूसेंस जनसाधारण को प्रभावित करता है जबकि प्राइवेट न्यूसेंस का प्रभाव एक व्यक्ति तथा कुछ व्यक्तियों पर पड़ता है।

2) लोक न्यूसेंस में किसी भी व्यक्ति को सिविल कार्यवाही का कारण नहीं मिलता। जबकि प्राइवेट लाइसेंस में संपत्ति पर अधिकार रखने वाला जिसे आघात पहुंचता है वह मुकदमा चला सकता है।

3) लोक न्यूसेंस कभी भी कानूनी रूप नहीं पाता और सदैव अपराध बना रहता है जबकि प्राइवेट न्यूसेंस यदि अधिक समय तक चला रहे तो चिरभोग द्वारा कानूनी रूप मिल जाता है।

4) लोक न्यूसेंस को क्षतिग्रस्त व्यक्ति समाप्त नहीं करा सकता और ना ही उसके विरुद्ध व्यादेश जारी करा सकता है जबकि प्राइवेट न्यूसेंस को क्षतिग्रस्त व्यक्ति समाप्त भी करा सकता है तथा उसके विरुद्ध व्यादेश भी जारी करा सकता है।

5) लोक न्यूसेंस में तब तक नुकसानी की कार्रवाई नहीं होती जब तक वादी अपनी विशेष क्षति साबित न कर दे जबकि प्राइवेट न्यूसेंस में नुकसानी की कार्रवाई की जा सकती है।

6) लोक न्यूसेंस में प्रभावित व्यक्ति को सिविल तथा दांडिक दोनों प्रकार की कार्रवाई करने का अवसर मिलता है जबकि प्राइवेट न्यूसेंस में केवल सिविल न्यायालय में नुकसानी की कार्रवाई की जा सकती है।

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