:- एकमात्र पत्नी को उपलब्ध आधार :-अधिनियम की धारा 13 (2) में उन आधारों का उल्लेख किया गया है। जिन पर केवल पत्नी द्वारा ही विवाह विच्छेद की याचिका प्रस्तुत की जा सकती है। यह आधार निम्नलिखित है-

(i) जब हिन्दू विवाह अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व अनुष्ठापित विवाह की दशा में पति ने ऐसे प्रारम्भ के पूर्व फिर विवाह कर लिया था या याचिकादाता के विवाह के अनुष्ठापन के समय पति की कोई ऐसी दूसरी पत्नी जीवित थी जिसके साथ उसका विवाह ऐसे प्रारम्भ के पूर्व हुआ था परंतु यह तब जबकि दोनों दशाओं में दूसरी पत्नी याचिका प्रस्तुत करने के समय जीवित हो।

(2)जब विवाह के अनुष्ठापन के पश्चात् पति बलात्संग, गुदा मैथुन या पशु गमन (rape, sodomy or bestiality) का दोषी रहा हो।

(3)जब हिन्दू दत्तक और भरणपोषण अधिनियम, 1956 की धारा 18 के अधीन वाद में या दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 के अधीन कार्यवाही में, यथास्थिति, डिक्री या आदेश पति के विरुद्ध पत्नी को भरणपोषण देने के लिए इस बात के होते हुए भी पारित किया गया हो कि वह अलग रहती थी और ऐसी डिक्री या आदेश के पारित किये जाने के समय के पश्चात् पक्षकारों में एक वर्ष या उससे अधिक की कालावधि में सहवास का पुनराम्भ नहीं हुआ हो; अथवा

(4)जब पत्नी का विवाह उस समय हुआ हो जब उसकी आयु 15 वर्ष से कम की थी और उसने 15 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पश्चात् और 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पूर्व विवाह का निराकरण (repudiation of marriage) कर दिया हो।

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